झारखंड की बेटी बबीता पहाड़िया की कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है
झारखंड की साधारण लेकिन संघर्षशील बेटी बबीता पहाड़िया ने झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की परीक्षा पास कर 337वीं रैंक हासिल की है। यह एक आम सफलता नहीं, बल्कि ग़रीबी और हौसले के बीच लड़ाई में मिली ऐतिहासिक जीत है।
जब उनके घर यह खबर पहुँची कि बेटी अब अफसर बन गई है, तो परिवार में खुशी का ठिकाना नहीं रहा—but उसी पल एक कड़वी सच्चाई सामने आई: मिठाई के लिए पैसे नहीं थे।
चीनी से बाँटी गई मिठाई
माँ के चेहरे पर खुशी थी, मगर जेब खाली। उन्होंने कुछ देर तक इधर-उधर देखा और फिर घर में रखा चीनी का डिब्बा उठाकर लाई। वही चीनी, जो रोज़मर्रा के चाय और खाने के लिए इस्तेमाल होती थी, आज खुशियों की मिठाई बन गई। माँ ने पहले बबीता को चीनी खिलाकर मुंह मीठा कराया, फिर पड़ोसियों को भी चीनी बाँटी।
कैसी रही बबीता की यात्रा?
- बबीता का परिवार बेहद गरीब था।
- गाँव में संसाधनों की कमी थी।
- पढ़ाई के लिए रोशनी भी कभी-कभी ही होती थी।
- कोचिंग, गाइडेंस और इंटरनेट जैसी सुविधाएं नहीं थीं।
फिर भी बबीता ने आत्मबल, अनुशासन और दृढ़ इच्छा-शक्ति से यह साबित कर दिया कि हालात बड़े नहीं होते, हौसले बड़े होते हैं।
बबीता की कहानी हर उस छात्र और छात्रा के लिए उम्मीद की रौशनी है जो संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं।
अगर आप में इच्छाशक्ति है, तो कोई भी परीक्षा या मंज़िल बड़ी नहीं है।