उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित गहमर गांव देशभर में अपनी सैन्य परंपरा के लिए जाना जाता है, लेकिन इसी गांव में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर भी है, जिससे जुड़ी आस्थाएं और मान्यताएं रूह तक को झकझोर देती हैं। हम बात कर रहे हैं मां कामाख्या देवी मंदिर की — एक ऐसा दिव्य स्थल जहां मां का आशीर्वाद केवल भक्ति नहीं, बल्कि सैनिकों की ढाल बनकर काम करता है।
मां कामाख्या: गांव की कुलदेवी, रक्षक और प्रेरणा
गांव के लोग मां कामाख्या को अपनी कुलदेवी मानते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना के बाद से आज तक गांव का कोई भी सैनिक सीमा पर शहीद नहीं हुआ। यह बात न केवल आस्था से जुड़ी है, बल्कि पीढ़ियों की अनुभव की गवाही भी देती है। मां के आशीर्वाद को ही गांव के फौजियों की सुरक्षा की अदृश्य कवच माना जाता है।

नवरात्रि में उमड़ता है श्रद्धा का सैलाब
नवरात्रि के पावन अवसर पर यह मंदिर आस्था का केंद्र बन जाता है। गहमर ही नहीं, बल्कि बिहार, बंगाल और पूर्वांचल के कई हिस्सों से हजारों भक्तजन यहां माता के दर्शन और आशीर्वाद के लिए पहुंचते हैं। नवरात्रि में मंदिर परिसर और इसके आस-पास मेला जैसा माहौल बन जाता है, जहां हर कोना भक्तिभाव से गूंजता है।

इतिहास में झांकें: पांचवीं सदी की विरासत
मंदिर के पुजारियों के अनुसार, मां कामाख्या का यह मंदिर लगभग पांचवीं सदी में सिकरवार क्षत्रिय वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। उन्होंने मां को अपनी कुलदेवी के रूप में मानते हुए इस स्थल की स्थापना की थी। हालांकि समय के साथ जब राजवंश लुप्त हुआ, मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में चला गया। लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था ने कभी दम नहीं तोड़ा। समय-समय पर लोगों ने सहयोग से मंदिर का पुनर्निर्माण किया और आज यह मंदिर भव्य और आकर्षक रूप में भक्तों के बीच प्रतिष्ठित है।

मनोकामना पूर्ण करने वाली मां
यहां की मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से मां के दरबार में आता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। चाहे जीवन की कठिनाइयां हों, संकट की घड़ी हो या जीवन में कोई बड़ी परीक्षा — मां कामाख्या हर भक्त के जीवन में आशा की रोशनी बनकर उभरती हैं।

फौजियों का गांव, मां का वरदान
गहमर गांव को देश का सबसे बड़ा फौजी गांव कहा जाता है। यहां प्रत्येक घर से कोई न कोई व्यक्ति सेना में सेवा दे रहा है। लेकिन जो बात इस मंदिर को विशेष बनाती है, वह यह कि आज तक इस गांव से सेना में गया कोई भी जवान शहीद नहीं हुआ। यह कोई संयोग नहीं, बल्कि मां कामाख्या का चमत्कार माना जाता है। पुजारी और गांव के बुजुर्गों का कहना है, “मां रक्षा करती हैं, और जब मां की कृपा हो, तो कोई आंच नहीं आती।”

मां कामाख्या मंदिर: एक विश्वास, एक परंपरा, एक चमत्कार
गहमर का मां कामाख्या मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक संस्कृति, परंपरा और चमत्कार की मिसाल है। यहां केवल पूजा नहीं होती, यहां आस्था जीवंत होती है। यह मंदिर हमें यह सिखाता है कि सच्ची श्रद्धा और अटूट विश्वास किस तरह जीवन के सबसे कठिन रास्तों में भी सहारा बन जाते हैं।
कैसे पहुंचें मां कामाख्या मंदिर, गहमर (गाजीपुर):
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: गहमर रेलवे स्टेशन (2 किमी)
- बस सेवा: गाजीपुर से सीधी बस सेवा उपलब्ध
- सड़क मार्ग: वाराणसी, गाजीपुर, बक्सर से सीधा संपर्क