भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है, जहां सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। लेकिन इन सबके बीच हिंदी वह भाषा है, जो देश की सांस्कृतिक पहचान और एकता को जोड़ती है। हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि हमारी मातृभाषा और उसकी गरिमा को सम्मान देने का अवसर है। हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं बल्कि संस्कृति, परंपरा और भावनाओं की धड़कन है।

हिंदी दिवस का इतिहास

हिंदी दिवस का इतिहास काफी गौरवशाली है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। यह फैसला देश के लिए ऐतिहासिक था क्योंकि इससे एक ऐसी भाषा को सम्मान मिला जो करोड़ों भारतीयों की बोली और पहचान थी।

हिंदी दिवस की शुरुआत कब हुई?

1953 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संसद में घोषणा की कि हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसके पीछे राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा का बड़ा योगदान रहा, जिन्होंने इस दिवस को मनाने का आग्रह किया था। तब से आज तक यह परंपरा जारी है।

हिंदी भाषा का वैश्विक महत्व

आज हिंदी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है।

हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य

हिंदी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरा संदेश है:

देशभर में हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं:

आज के दौर में अंग्रेजी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। लेकिन हिंदी दिवस हमें यह संदेश देता है कि हमें अपनी मातृभाषा को कभी पीछे नहीं छोड़ना चाहिए।

हिंदी दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और भाषाई एकता का प्रतीक है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने दैनिक जीवन और सरकारी कार्यों में हिंदी को प्राथमिकता दें। अगर हम अपनी भाषा को संजोकर रखेंगे, तभी आने वाली पीढ़ियां भी गर्व से इसे अपनाएंगी।

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